रंजीत वर्मा की ये कविता बहुत पढ़ी गई ,सोचा आपको भी पढ़ा दूं ,
इतिहास का पुनलेखन
नया इतिहास लिख्ने जाने की
तैयारी की जा चुकी हैं,
जल्द ही इसे हमारे जीवन के
पाठ्यक्रम मे
लगा दिया जाने वाला हैं .
स्कूल कालेजो मे तो लगेंगे ही क्या ,
हमे भी ये मानने को तैयार हो जाना चाहिये ,
की पहली आज़ादी सिर्फ ,सत्ता परिवर्तन थी ,
गोरे अंग्रेजो और काले अंग्रेजो के बीच ,
असल आज़ादी तो ये दूसरी आज़ादी हैं,
जिसे पाने की जंग उन्होने
गाँधी की हत्या से शुरू की थी ,
वे फिर बतायेंगे की कैसे हमने
दूसरी आज़ादी पाने के लिये शहादतें दी ,
16 मई को ,इस दूसरी आज़ादी का
स्वतंत्रता दिवस घोषित किया जायेगा .
और ६ दिसंबर ,राष्ट्रीय अवकाश दिया जायेगा ,
प्रेस पे पहरा बैठा दिया जायेगा ,
और
नफरत होगी ,एकतरफा मुसलमानो ,दलितो
आदिवासियो ,और कम्युनिस्टो को
बदलने मे नफरत करने का
कोई हक़ नहीं होगा,
- [ रंजीत वर्मा ]
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