सब डरते है कठमुल्लो से , कोंग्रेस ,माकपा और अब भाजपा सब हमाम मे नंगे .
भाजपा सरकार ने तस्लिमा नसरीन का अस्थाई आवास का वीज़ा रद्द कर दिया , उसकी जगह टूरिस्ट वीज़ा जारी किया गया हैं , आज तस्लिमा गृह मंत्री राजनाथ सिंह से भी मिली , अफसोस है की भरत जैसे देश मे एक आज़ाद खयाल लेखिका को सम्मान तक नहीं दे सकी, दुनिया के बहुत से देश दी जॉ तस्लिमा को अपने देश मे रखने को तैयार भी दी , लेकिन उन्हे लगा की भतर मे बंगाली साहित्य के लिये माहोल समन हैं ,लेकिन हमारे देश मे भी उन्हे वो सम्मान नहीं मिला ,विचार विभिन्नता का तो सम्मान होना हो चाहिये ही, मेने उनकी लगभग सारी किताबें पढी हैं , द्विखंडिता भी , .
मुझे नहीं लगता की किसी को धर्म मे असहमती के लिये दण्डित किया जा सकता हैं , बंगला देश या कोई और इसलामिक देश का विरोध तो समझ आता है ,लेकिन भारत जैसे देश मे जहाँ धर्म की जबर्जस्त असहमती को भी हमेशा साहित्य मे प्रुमुखता से लिया गया है ,और तो और उसे ज्यादा सम्मान मिलता रहा है,
लेकिन जब सरकारे सिर्फ धर्म के चश्मे से किसी साहित्य को आंकेतो उसे किसी भी तराह न्यायोचित नहीं कहा जा सकता , सबसे बड़ी रुचिकर यही है की कोंग्रेस ,माकपा और अब भाजपा सब हमाम मे नगे खडे हैं ,
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