दिनदहाड़े इस गांव में होती है पत्थरों की बारिश, बनी मुसीबत
2017-03-06 21:02:20
सालों से यह कहर झेल रहे है
कुछ देर बाद पत्थर उछलकर उनके घरों की छतों व आंगन में गिरने लगते हैं। करीब सात सौ की आबादी वाला यह गांव सालों से यह कहर झेल रहा है, लेकिन इन धमाकों की आवाज और ग्रामीणों की चीख जिम्मेदारों के कानों तक नहीं पहुंच रही है। यह हाल सिर्फ टिकनपाल का ही नहीं बल्कि ब्लॉक के दर्जनों गांवों का हैं, जहां गिट्टी खदानें संचालित है।
कंपन महसूस किया जा सकता है
जानकारी के अनुसार टिकनपाल से लगे गिट्टी खदान में पर्यावरण को ताक में रखकर भारी विस्फोटक का उपयोग गिट्टी फोडऩे के लिए किया जा रहा है। ग्रामीणों की माने तो विस्फोट इतना तेज होता है कि 500 मीटर के दायरे में इसका कंपन महसूस किया जा सकता है। विस्फोट के दौरान पत्थर के टुकड़े व डस्ट उनके घरों और खेतों तक पहुंच रही है, इससे किसान त्रस्त है। इसके लिए नियम अनुसार ग्राम सभा से अनुमति भी नहीं ली गई है।
मजदूर बाहर पलायन कर रहे है
खदान संचालकों ने गड़बडिय़ों को छुपाने के लिए खुदाई व विस्फोट करने के लिए राज्य के बाहर के मजदूरों को काम पर लगा रखा है, जबकि यहां के मजदूर बाहर पलायन कर रहे हैं। खदान संचालक पैसा कमाने और बचाने के लिए बिना पिटपास के रायल्टी दिए बिना रोज सैकड़ों टिप्पर, हाइवा और बड़े ट्रकों से गिट्टी बाहर भेज रहे हैं। लोगों ने बताया कि जो वाहन चालक जितना अधिक ट्रीप परिवहन करता है उसे वेतन के अलावा अधिक कमीशन दिया जाता है।
गिरा भू-जल स्तर, दो हैंडपंप सूखे
गिट्टी के लिए जरूरत से अधिक खुदाई करने से खदान में पानी निकल गया है, जिसे खदान मालिक मोटर पंप से बाहर निकालकर व्यर्थ में बहाया जा रहा है। इलाके में भूजल स्तर गिरने से टिकनपाल में दो हैंडपंप सूख गए हैं,जिससे यहां की महिलाओं दूर से पानी लाना पड़ रहा है। अंधाधुंध उत्खनन से इस इलाके में पानी भी मटमैला निकलता है, जिससे बच्चों से लेकर बूढ़ों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है।
मंत्रालय के सारे नियमों को ताक पर
पत्थर से करोड़ों कमा रहे क्रशर माफि या ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और पर्यावरण मंत्रालय के सारे नियमों को ताक पर रख दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने इस मामले में तहसीलदार, एसडीएम और कलक्टर से भी शिकायत की, लेकिन धमाकों की आवाज से निजात नहीं मिली। इतना ही नहीं यहां माइनिंग सहित किसी अधिकारी ने आकर झांका तक नहीं है।
हर दिन सौ से अधिक डंपर और हाइवा गिट्टी का परिवहन
सूत्रों के अनुसार बस्तर ब्लॉक में 39 गिट्टी खदान है। ये निर्धारित से अधिक जगह पर उत्खनन कर रहे हैं। नंदपुरा, बालेंगा, पिपलावंड, मधोता सहित टिकनपाल से हर दिन हजारों पुट गिट्टी निकाली जा रही है। क्रेशर प्लांट से जुड़े लोगों ने पहाड़ी को ढेर में तब्दील कर दिया है। यहां से हर दिन सौ से अधिक डंपर और हाइवा गिट्टी का परिवहन हो रहा है। इतना ही नहीं कमाई के लालच में कई खदान संचालक गिट्टी की जगह बड़े पत्थरों को ही वाहनों से बाहर भेज रहे हैं।
बीस-बीस फीट तक एक के बाद एक होल (बोर)
गांव के लोगों का कहना है कि पत्थर तोडऩे के लिए चट्टान में बीस-बीस फीट तक एक के बाद एक होल (बोर) किया गया है, जिसमें विस्फोट होने से वे हर दिन दहशत में जी रहे हैं। विस्फोट के बाद साठ फीट तक खुदाई कर इन पत्थरों को कोंडगांव से जगदलपुर तक भेजा जाता है। इसके बाद भी माइनिंग विभाग के अधिकारी आंखे मूंदे बैंठे हैं।
शिकायत मिली है
उप संचालक खनिज विभाग, आरसी नेताम ने बताया कि लोक सुराज में हाल ही में शिकायत मिली है। मौके पर जाकर निरीक्षण किया जाएगा। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
उचित कार्रवाई की जाएगी
एसडीएम बस्तर लवीना पांडेय ने बताया कि उसरी पंचायत के आश्रित गांव टिकनपाल में गिट्टी पत्थर के लिए अवैध उत्खनन किया जा रहा है। जल्द ही खनिज विभाग के अधिकारियों को लेकर प्रत्येक बिंदु पर तकनीकी रूप से पूरी जानकारी लेर उचित कार्रवाई की जाएगी।
No comments:
Post a Comment