** हमेशा की तरह पुलिस की झूठी कहानी और हमेशा की तरह ही कई वर्ष जेल में काटने के बाद रिहाई.
** अंजलि चौहान ,शेख अनवर और मुजीब खान के
5 साल जेल में रहने के बाद निर्दोष रिहाई से उठते स्वाभाविक सवाल .
****
पुलिस की कहानी हमेशा की तरह झूठी साबित हुई
.
पचायत सचिव सचिव और सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि चौहान उनके पति शेख अनवर जो पेशे से पत्रकार और उनके भाई मुजीब खान जो शिक्षिकर्मी हैं को मओवादियो का बड़ा लीडर और हथियार सप्लायर बता कर 5 साल पहले गिरफ्तार किया .
5 साल तीनो जेल में रहे ,,केस चलता रहा तारीख पर तारीख लगती रही ,पुलिस ने चार्जशीट पेश की ,सत्र न्यायधीश ने चार्ज शीट में ही कमियां बताते हुये तीनो को निर्दोष मानते हुए कल रिहाई के आदेश दे दिए.
हमेशा की तरह पुलिस की झूठी कहानी और हमेशा की तरह ही कई वर्ष जेल में काटने के बाद रिहाई.
बस्तर में ऐसे नब्बे फीसदी लोग ऐसे ही पकडे जाते है और सात आठ साल वाद निर्दोष झूट भी जाते है.
किसी न्ययालय या किसी और अथोरिटी ने कभी यह नही कहा की इस प्रकार के झूठे केस बनाने वाले और उसके कारण लम्बी लम्बी अवधि की जेल भुगतने के लिये कौन जिम्मेदार होगा.उन पुलिस कर्मीयों के खिलाफ कोइ कार्यवाही क्यों नहीं होती जिनके कारण निर्दोश लोगो को इतना अपमान और अपनी नोकरी से महरूम होना पडेगा .
उदाहरण का लिये अंजली चौहान और उनके पति की कहानी ही सुन लेते है .
:अंजलि चौहान वे 5 साल पहले एक दिन एलिक्स पाल मेनन कलेक्टर से मिलने बस से जा रही थी की रास्ते में रोक कर पकड लिया उनके पति शेख अनवर रायपुर के एक होटल में पत्रकार वार्ता ले रहे थे ,वे समाजिक कार्यकर्त्ता और पत्रकार भी ही और यही मुजीब खान भी साथ थे की पुलिस ने इन दोनों को पकड लिया .
अब पुलिस ने कोर्ट और मिडिया को जो कहनी बताई
वह निम्न है !
केस डायरी के अनुसार जून 2012 में पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया था। पुलिस को शक था कि वे नक्सलियों का सहयोग करते हैं। पुलिस ने उनके पास से स्वचालित हथियार व कारतूस जब्त किया था। पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ नक्सली रायपुर पहुंचे हैं। सूचना मिलते ही पुलिस सतर्क हुई और रावणभाठा दशहरा मैदान से मुजीब को गिरफ्तार करके एके 47 और एसएलआर की 210 गोलियां बरामद की थीं। मुजीब ने पूछताछ में अंजली का नाम बताया था। तब सरोना रेलवे स्टेशन से अंजली को गिरफ्तार कर 60 कारतूस बरामद किए गए थे।
पुलिस की यह झूठी कहानी बहस में एक दिन भी ठहर नही सकी . परत दर परत झूठ खुलता गया और न्याय के पहले पायदान पर ही कोर्ट ने ईस झूठी कहानी को नकार दिया .
रायपुर के वरिष्ठ एडवोकेट फरहान खान इनकी ओर से पैरवी कर रहे थे ॥
लेकिन इस कहानी को झूठ सिद्ध करने में 5 साल लग गये .
पुलिस ज्यादातर एसे ही कहानियाँ बनाते है , ज्यादातर झूठ पकड़े जाते हैं और कभी कभी निर्दोष लोग सजा भी पा जाते हैं.
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** अंजलि चौहान ,शेख अनवर और मुजीब खान के
5 साल जेल में रहने के बाद निर्दोष रिहाई से उठते स्वाभाविक सवाल .
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पुलिस की कहानी हमेशा की तरह झूठी साबित हुई
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पचायत सचिव सचिव और सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि चौहान उनके पति शेख अनवर जो पेशे से पत्रकार और उनके भाई मुजीब खान जो शिक्षिकर्मी हैं को मओवादियो का बड़ा लीडर और हथियार सप्लायर बता कर 5 साल पहले गिरफ्तार किया .
5 साल तीनो जेल में रहे ,,केस चलता रहा तारीख पर तारीख लगती रही ,पुलिस ने चार्जशीट पेश की ,सत्र न्यायधीश ने चार्ज शीट में ही कमियां बताते हुये तीनो को निर्दोष मानते हुए कल रिहाई के आदेश दे दिए.
हमेशा की तरह पुलिस की झूठी कहानी और हमेशा की तरह ही कई वर्ष जेल में काटने के बाद रिहाई.
बस्तर में ऐसे नब्बे फीसदी लोग ऐसे ही पकडे जाते है और सात आठ साल वाद निर्दोष झूट भी जाते है.
किसी न्ययालय या किसी और अथोरिटी ने कभी यह नही कहा की इस प्रकार के झूठे केस बनाने वाले और उसके कारण लम्बी लम्बी अवधि की जेल भुगतने के लिये कौन जिम्मेदार होगा.उन पुलिस कर्मीयों के खिलाफ कोइ कार्यवाही क्यों नहीं होती जिनके कारण निर्दोश लोगो को इतना अपमान और अपनी नोकरी से महरूम होना पडेगा .
उदाहरण का लिये अंजली चौहान और उनके पति की कहानी ही सुन लेते है .
:अंजलि चौहान वे 5 साल पहले एक दिन एलिक्स पाल मेनन कलेक्टर से मिलने बस से जा रही थी की रास्ते में रोक कर पकड लिया उनके पति शेख अनवर रायपुर के एक होटल में पत्रकार वार्ता ले रहे थे ,वे समाजिक कार्यकर्त्ता और पत्रकार भी ही और यही मुजीब खान भी साथ थे की पुलिस ने इन दोनों को पकड लिया .
अब पुलिस ने कोर्ट और मिडिया को जो कहनी बताई
वह निम्न है !
केस डायरी के अनुसार जून 2012 में पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया था। पुलिस को शक था कि वे नक्सलियों का सहयोग करते हैं। पुलिस ने उनके पास से स्वचालित हथियार व कारतूस जब्त किया था। पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ नक्सली रायपुर पहुंचे हैं। सूचना मिलते ही पुलिस सतर्क हुई और रावणभाठा दशहरा मैदान से मुजीब को गिरफ्तार करके एके 47 और एसएलआर की 210 गोलियां बरामद की थीं। मुजीब ने पूछताछ में अंजली का नाम बताया था। तब सरोना रेलवे स्टेशन से अंजली को गिरफ्तार कर 60 कारतूस बरामद किए गए थे।
पुलिस की यह झूठी कहानी बहस में एक दिन भी ठहर नही सकी . परत दर परत झूठ खुलता गया और न्याय के पहले पायदान पर ही कोर्ट ने ईस झूठी कहानी को नकार दिया .
रायपुर के वरिष्ठ एडवोकेट फरहान खान इनकी ओर से पैरवी कर रहे थे ॥
लेकिन इस कहानी को झूठ सिद्ध करने में 5 साल लग गये .
पुलिस ज्यादातर एसे ही कहानियाँ बनाते है , ज्यादातर झूठ पकड़े जाते हैं और कभी कभी निर्दोष लोग सजा भी पा जाते हैं.
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