CHHATTISGARH LOK SWATANTRYA SANGATHAN
(PEOPLE’S UNON FOR CIVIL LIBERTIES, CHHATTISGARH) PUCL chhattisgarh
दिनांक 03.03.2017
पुलिस अधीक्षक सुकमा पर शीघ्र सक्षम कारवाही की जाये – पीयूसीएल छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ लोक स्वातंत्र्य संगठन को समाचार पत्रों से जानकारी मिली है कि 2 मार्च को पंडरीपानी
(बस्तर) में एक निजी ऑटोमोबाइल कंपनी की नयी उच्च-तकनीक वाहनों के उद्घाटन कार्यक्रम में भाग लेते हुए, सुकमा के पुलिस अधीक्षक इंदिरा कल्याण एलेसेला ने कहा कि , ऐसे नए बड़े-बड़े वाहनों के नीचे शालिनी गेरा और ईशा खंडलेवाल जैसे मानव अधिकार कार्यकर्ताओं कै कुचल दिया जाना चाहिए .उन्होंने शोधकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया की ओर इशारा करते हुए कहा कि कुछ लोग अपना कुत्ता-बिल्ली घुमाते रहते है और पुलिस पर इलज़ाम लगाते हैं.
ऐसा श्री एलेसेला ने, वर्तमान में रायपुर मुख्यालय में पदस्थ श्री एस.आर.पी. कल्लूरी और
बस्तर पुलिस अधीक्षक श्री आर.पी.दाश की उपस्थित में कहा. इसी कार्यक्रम में SP सुकमा ने मीडिया से कहा कि वह समझे कि यह एक युद्ध हैऔर पुलिस को हत्यारा साबित नहीं करें. बाद में मीडिया द्वारा स्पष्टीकरण मांगने पर श्री एलेसेला ने कहा कि उन्हें अपना कथन किया है वैसे भी बोलने की आज़ादी भी है .
हम इस बयान की कड़ी निंदा करते हैं. जिस प्रकार पुलिस और प्रशासन, व्यवस्था को बनाये रखने का
अपना काम करते हैं; उसी प्रकार न्याय प्रणाली में अधिवक्ता और लोकतांत्रिक व्यवस्था में पत्रकार और मानव अधिकार कार्यकर्ता भी मानव अधिकार हनन के मामलों में न्याय दिलाने का अपना कार्य करते हैं. इनके कायों के बिना लोकतंत्र जीविका नहीं रह सकता.
महिला मानव अधिकार कार्यकर्ताओं - सुश्री शालिनी गेरा, ईशा खंडेलवाल और बेला भाटिया के विरुद्ध दिये गये SP सुकमा के बयान से - बस्तर पुलिस का मानवधधकारों के प्रति घोर तिरस्कार और लापरवाही का दृष्टिकोण ,कार्यकर्ताओं के प्रति व्यक्तिगत रंजिश और मतभेद रखने वालो के साथ अपने बल का दुरप्रयोग करने की आपराधिक पृवत्ति स्पष्ट झलकती है .
एक निजी कार्यक्रम को अनावश्यक रूप से सामाजिक कार्यकर्ताओं को धमकी दिये जाने का मंच बनाना पुलिस आचरण नियमों के खिलाफ भी है .
आज जब राष्रीय मानव अधधकार आयोग के समक्ष इन्ही अफसरों के सम्बन्ध में में शिकायतों की जांच चल रही है, जब माननीय उच्च न्यायलय में कई फजी मुठभेड़ आदि मामले लंबित है, जब साकेगडुा मामले के जांच आयोग की सुनवाई चल रही है; तब ऐसे मामलों में ग्रामीणों की ओर से उपस्थित होने वाले वकीलों या मानव अधिकार कार्यकर्ताओं की शिकायत
के बारे में इस प्रकार का घिनौना अपराध और धमकी पूर्ण बयान देना निश्चित ही पेशेवर आचरण नहीं है और
वास्तव में अपनी प्रभाव का दुर्पयोग है. यह भारतीय संविधान के अंतर्गत अपराध है.
ऐसा विवादित बयान वरिष्ठ अधिकारी श्री कल्लूरी और श्री दाश की उपस्थित में ,मानवाधिकार हनन की शिकायतो के आधार पर ही श्री कल्लरूी को बस्तर आई जी के पद से हटाया गया था, कार्यकर्ताओं की ।शिकायतों और शंकाओं की पुष्टि करता है .
हम पुलिस महानिरीक्षक और छत्तीसगढ़ शासन से मांग करते हैं कि पुलिस अधीक्षक सुकमा इंदिरा कल्याण एलेसेला पर शीघ्र सक्षम कारवाही की जाये. साथ ही इस निजी कार्यक्रम में श्री कल्लूरी व श्री दाश की इस उपस्थिति और एक उद्घाटन कार्यक्रम को राजनैतिक मंच बनाने के उनके आचरण की उच्च स्तरीय जांच की जावे.
**
डा.लाखन सिंह सुधा भारद्वाज अधिवक्ता
अध्यक्ष महासचिव
छत्तीसगढ़ पीयूसीएल की ओर से जारी बयान दिनांक 3.3 . 2017
(PEOPLE’S UNON FOR CIVIL LIBERTIES, CHHATTISGARH) PUCL chhattisgarh
दिनांक 03.03.2017
पुलिस अधीक्षक सुकमा पर शीघ्र सक्षम कारवाही की जाये – पीयूसीएल छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ लोक स्वातंत्र्य संगठन को समाचार पत्रों से जानकारी मिली है कि 2 मार्च को पंडरीपानी
(बस्तर) में एक निजी ऑटोमोबाइल कंपनी की नयी उच्च-तकनीक वाहनों के उद्घाटन कार्यक्रम में भाग लेते हुए, सुकमा के पुलिस अधीक्षक इंदिरा कल्याण एलेसेला ने कहा कि , ऐसे नए बड़े-बड़े वाहनों के नीचे शालिनी गेरा और ईशा खंडलेवाल जैसे मानव अधिकार कार्यकर्ताओं कै कुचल दिया जाना चाहिए .उन्होंने शोधकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया की ओर इशारा करते हुए कहा कि कुछ लोग अपना कुत्ता-बिल्ली घुमाते रहते है और पुलिस पर इलज़ाम लगाते हैं.
ऐसा श्री एलेसेला ने, वर्तमान में रायपुर मुख्यालय में पदस्थ श्री एस.आर.पी. कल्लूरी और
बस्तर पुलिस अधीक्षक श्री आर.पी.दाश की उपस्थित में कहा. इसी कार्यक्रम में SP सुकमा ने मीडिया से कहा कि वह समझे कि यह एक युद्ध हैऔर पुलिस को हत्यारा साबित नहीं करें. बाद में मीडिया द्वारा स्पष्टीकरण मांगने पर श्री एलेसेला ने कहा कि उन्हें अपना कथन किया है वैसे भी बोलने की आज़ादी भी है .
हम इस बयान की कड़ी निंदा करते हैं. जिस प्रकार पुलिस और प्रशासन, व्यवस्था को बनाये रखने का
अपना काम करते हैं; उसी प्रकार न्याय प्रणाली में अधिवक्ता और लोकतांत्रिक व्यवस्था में पत्रकार और मानव अधिकार कार्यकर्ता भी मानव अधिकार हनन के मामलों में न्याय दिलाने का अपना कार्य करते हैं. इनके कायों के बिना लोकतंत्र जीविका नहीं रह सकता.
महिला मानव अधिकार कार्यकर्ताओं - सुश्री शालिनी गेरा, ईशा खंडेलवाल और बेला भाटिया के विरुद्ध दिये गये SP सुकमा के बयान से - बस्तर पुलिस का मानवधधकारों के प्रति घोर तिरस्कार और लापरवाही का दृष्टिकोण ,कार्यकर्ताओं के प्रति व्यक्तिगत रंजिश और मतभेद रखने वालो के साथ अपने बल का दुरप्रयोग करने की आपराधिक पृवत्ति स्पष्ट झलकती है .
एक निजी कार्यक्रम को अनावश्यक रूप से सामाजिक कार्यकर्ताओं को धमकी दिये जाने का मंच बनाना पुलिस आचरण नियमों के खिलाफ भी है .
आज जब राष्रीय मानव अधधकार आयोग के समक्ष इन्ही अफसरों के सम्बन्ध में में शिकायतों की जांच चल रही है, जब माननीय उच्च न्यायलय में कई फजी मुठभेड़ आदि मामले लंबित है, जब साकेगडुा मामले के जांच आयोग की सुनवाई चल रही है; तब ऐसे मामलों में ग्रामीणों की ओर से उपस्थित होने वाले वकीलों या मानव अधिकार कार्यकर्ताओं की शिकायत
के बारे में इस प्रकार का घिनौना अपराध और धमकी पूर्ण बयान देना निश्चित ही पेशेवर आचरण नहीं है और
वास्तव में अपनी प्रभाव का दुर्पयोग है. यह भारतीय संविधान के अंतर्गत अपराध है.
ऐसा विवादित बयान वरिष्ठ अधिकारी श्री कल्लूरी और श्री दाश की उपस्थित में ,मानवाधिकार हनन की शिकायतो के आधार पर ही श्री कल्लरूी को बस्तर आई जी के पद से हटाया गया था, कार्यकर्ताओं की ।शिकायतों और शंकाओं की पुष्टि करता है .
हम पुलिस महानिरीक्षक और छत्तीसगढ़ शासन से मांग करते हैं कि पुलिस अधीक्षक सुकमा इंदिरा कल्याण एलेसेला पर शीघ्र सक्षम कारवाही की जाये. साथ ही इस निजी कार्यक्रम में श्री कल्लूरी व श्री दाश की इस उपस्थिति और एक उद्घाटन कार्यक्रम को राजनैतिक मंच बनाने के उनके आचरण की उच्च स्तरीय जांच की जावे.
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डा.लाखन सिंह सुधा भारद्वाज अधिवक्ता
अध्यक्ष महासचिव
छत्तीसगढ़ पीयूसीएल की ओर से जारी बयान दिनांक 3.3 . 2017
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