पुरखो के सरंक्षित संसाधनो बर्तन भांडे जेबर जमीन बेचके ऐश करने में कोई बहादुरी नहीं है , राज्यसभा में कोयला खदान बिल पास
,ये तो कोई भी शराबी भंगेड़ी जुआरी परिवार में करता ही रहता हैं।
कोयला खदान अध्यादेश राज्यसभा में भी पास , सपा ,बसपा ,टीएमसी ,बीजू जनता दल ने भी भजपा के साथ कोयला की लूट को बनाया आसान , कोयला खदानों की नीलामी को जिन आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त किया था ,उन सभी को सरकार ने खत्म करके कोयला और अन्य प्राकर्तिक संसाधन की लूट के लिए कार्पोरेट के लिए बनाया था अध्यादेश ,आज राज्यसभा में भी सरकार के साथ सपा ,बसपा ,टीएमसी ,बीजू जनता दल करके कानून बनाने में सहयोग कर दिया ,सिर्फ कांग्रेस ,वाम ने इसका विरोध किया।
सिर्फ याद दिलाने के लिए की उस अध्यादेश में क्या था, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश को झुटलाते है ,इस रिपोर्ट को दुबारा पोस्ट कर रहे है।
प्राकृतिक संसाधनों के निजीकरण तथा कोयला खदानों की अवैध नीलामी के विरोध में
ग्रामसभाऐ हुई एकजुट I
आज दिनाँक 23 दिसम्बर 2014 को छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन ने बिलासपुर में एक विशाल सम्मलेन का आयोजन किया जिसमें कोल माइनिंग (विशेष प्रावधान) अध्यादेश / बिल 2014 तथा कॉर्पोरेट मुनाफे के लिए जन पक्षीय कानूनों में बदलाव के निरंतर प्रयास पर चर्चा की गई I सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों जैसे की हसदेव अरण्य, धरमजयगढ़ , मांड-रायगढ़, अंतागढ़, जशपुर, कोरिया, इत्यादि के 1000 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया I सम्मलेन में देश के अन्य कोयला क्षेत्रों के जैसे अनूपपुर, सिंघरौली, आंध्र प्रदेश के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया I सम्मलेन का संचालन कॉमरेड सी.आर.बक्षी, आनंद मिश्र, शौरा चौहान और नन्द कश्यप ने किया I
सम्मलेन की शुरूआत करते हुए छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन के आलोक शुक्ला ने बताया की माननीय सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 1993 के बाद आवंटित 214 कोयला खदानों के आवंटन को निरस्त कर दिया था जोकि सरकार के समक्ष एक दूरदर्शी जन-पक्षीय नीति बनाने का एक स्वर्णिम अवसर था I परंतु सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पूर्णतया अव्हेलना कर, और कोयला राष्ट्रीयकरण कानून के विपरीत सरकार कोल माइनिंग (विशेष प्रावधान) अध्यादेश / बिल 2014 ले आई जिसमें कंपनियों को निजी मुनाफे के लिए कोयला उत्खनन की अनुमति दी गयी है जिससे देश में कोयले का अतिदोहन होगा I कोयला अध्यादेश एवं संसद में लंबित बिल के जन-विरोधी प्रावधानों का उल्लेख करते हुए सीपीआई के प्रदेश अध्यक्ष कॉमरेड सी.आर.बक्षी ने कहा कि मोदी सरकार के आने के बाद देश के संसाधनों का बंदरबांट शुरू हो गया है और इसको आसान बनाने के लिए सभी जन-पक्षीय कानूनों को कमज़ोर करने के प्रयास किये जा रहे हैं, उन्होंने इसके विरुद्ध अब एक विशाल जन-आन्दोलन खड़ा करने की बात की I अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने कहा की सरकार कोयला खनन के लिए घने जंगल, जैव-विविधता से समृद्ध और आदिवासी बाहुल क्षेत्रों को भी नहीं छोड़ रही है, यहाँ तक पर्यावरण मंत्रालय ने अपनी स्वयं की रिपोर्ट की भी अनदेखी कर “नो-गो” क्षेत्रों की में माइनिंग की अनुमति दी हे I ऐसे क्षेत्र पर्यावरण की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हे जोकि देश के कुल कोयला धारित क्षेत्र का मात्र 15 प्रतिशत से भी कम है और बाकि कोयला धारित क्षेत्र से कम से कम 100 साल तक देश की कोयला ज़रूरतों को पूरा किया जा सकता है I
मध्य प्रदेश से AITUC के वरिष्ट नेता कॉमरेड हरद्वार सिंह ने बताया कि इस अध्यादेश/बिल के विरोध में देश भर के सभी ट्रेड यूनियनों ने 6-10 जनवरी को देश-भर में सभी कोयला खदानों में हड़ताल घोषित की है I सीपीआई (एम्.एल) के वरिष्ट नेता शोरा यादव ने कॉर्पोरेट क़र्ज़ माफ़ी का ज़िक्र कर कहा की क्यूँ जनहित की परियोजनाओं जैसे नरेगा, राशन वितरण, इत्यादि योजनाओं के लिए सालाना बजट की कटौती की जाती है जबकि कॉर्पोरेट के भारी क़र्ज़ को यूँ-ही माफ़ कर दिए जाते हैं I
छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन से अधिवक्ता सुधा भरद्वाज ने बताया की इस कोयला अध्यादेश में पुराने आवंटी को मिली सभी स्वीकृतियां को नए आवंटी को देने की बात कही गई है जबकि पुराने आवंटी के फर्जीवाड़े और अन्य अन्नियाम्तिताओं के मामले नए आवंटी पर नहीं लागू होंगे जोकि सरासर गलत है I मध्य प्रदेश सी पी एम् के राज्य सचिव कॉमरेड बादल सरोज ने कोयला निजीकरण के दुष्प्रभाव दर्शाते हुए बताया की कॉर्पोरेट केवल चंद मुनाफे के लिए लोगों की जान की भी परवाह नहीं करती जैसा भोपाल गैस त्रासदी में देखा गया जहाँ केवल 3.5 लाख रूपये बचाने के लिए प्लांट में ज़रूरी संयत्र नहीं लगाया जिससे 5000 से अधिक लोगों की जन गई और लाखों लोगों में गंभीर बीमारी फ़ैली I छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन के वरिष्ट साथी बिजय भाई ने भी कहा की यह हड़बड़ी में लाया गया कोयला अध्यादेश / बिल जरुरत से कहीं अधिक कोयला खनन को बढ़ावा देकर उन निजी कंपनियों को राष्ट्र-संपत्ति को सौंप देगा जो कंपनियाँ ने पर्यावरण संरक्षण और जनहित के लिए एक भी पैसा खर्च नहीं करेंगी I बिजय भाई ने बताया की अधिक खनन और औद्योगीकरण के कारण पानी की उपलब्धता पर भी सवाल खड़ा हो गया है और वो दिन दूर नहीं जब देश का पेय जल औद्योगिक घरानों की भेंट चढ़ चूका होगा I
हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक उमेश्वर सिंह अर्मो ने बताया की जैव विविधता से परिपूर्ण घने जंगल का “नो-गो” माइनिंग हसदेव अरण्य क्षेत्र छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है जिसके संरक्षण के लिए ग्रामवासी संघर्षशील हैं I उमेश्वर सिंह ने बताया की पेसा कानून 1996 के तहत प्राप्त अधिकारों से 16 ग्राम सभाओं ने सर्व-सम्मति से प्रस्ताव पारित कर कोयला खनन का विरोध किया है और इस क्षेत्र में किसी भी आवंटन / नीलामी ना करने का सरकार से निवेदन किया है I आम आदमी पार्टी के आनंद मिश्र ने भी कहा की हसदेव अरण्य, धरमजैगढ़ जैसे घने वन के क्षेत्र का जल, जंगल ज़मीन प्रदेश और देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और देश के संरक्षण के लिए इसे बचाने पर विशेष जोर दिया जाना चाहिए I
रायगढ़ से बहन रिंचिन ने कोयला खनन से हो रहे पर्यावरणीय दुष्प्रभाव का उल्लेख किया और बताया की नए कानून में भी पर्यावरण दुष्प्रभाव रोकने के लिए कोई भी प्रावधान नहीं हैं जिसका दुरूपयोग कर घर से बिलकुल नज़दीक तक खनन कार्य किया जा रहा है I महान संघर्ष समिति से रवि शेखर ने बताया की कैसे मोदी सरकार अब खुले रूप से पर्यावरण की अनदेखी कर सभी कानूनों को कमज़ोर कर रहे हैं और इसके लिए देश भर के सभी संघर्षशील समुदायों को एक-जुट होना पड़ेगा I आम आदमी पार्टी के प्रथमेश ने सम्मलेन में मौजूद समस्त ग्रामवासियों के साथ मिलकर एक संकल्प लिया की हम अपने जल, जंगल और ज़मीन का संरक्षण करेंगे और जंगल के पेड़ों और वन्य-जीवों पर किसी प्रकार की कश्ती नहीं होने देंगे I
सम्मलेन के अंत में सर्व-सम्मति से 6 प्रस्ताव पारित किये गए:
• सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक आदेश के अनुरूप देश की वास्तविक ज़रूरतों के लिए ही कोयला खदानों का आवंटन किया जाये नाकि कॉर्पोरेट मुनाफे के लिएI देश की बहुमूल्य खनिज संपदा का उपयोग सिर्फ जनहित के लिए ही किया जाये I अतः कोयला राष्ट्रीयकरण कानून में कोई भी संशोधन न किया जाये और मजदूरों के हितों की पूर्ण रक्षा की जाये I
• केंद्र सरकार द्वारा कोयला खदान आवंटन के लिए लाया गया कोल माइंस (विशेष उपबंध) 2014 को तुरंत वापस लिया जाये तथा इसकी जगह एक दूरदर्शी जनपक्षीय नीति तैयार की जाये जिसमें लोगों के अधिकारों को सुरक्षित करते हुए पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए I
• किसी भी खनन परियोजना के आवंटन / नीलामी के पूर्व ग्रामसभा से पूर्ण जानकारी के साथ लिखित सहमति प्राप्त की जाए तथा पर्यावरण संबंधी सभी स्वीकृतियां प्राप्त होने के बाद ही खदान का आवंटन / नीलामी की जाए I
• आदिवासियों के लंबे संघर्ष से प्राप्त पेसा कानून 1996 तथा वनाधिकार कानून 2006 का सम्मान किया जाए तथा इन कानूनों से प्राप्त अधिकारों को किसी भी प्रकार से कमज़ोर ना किया जाए I
• जैव विविधता से संपन्न घने वन क्षेत्र, वन्य जीव आवास तथा पारिस्थिकीय सूप से संवेदनशील इलाकों में किसी भी प्रकार की खनन की अनुमति नहीं दी जाए I
• सर्वदलीय सहमति से बने भू-अधिग्रहण कानून के वर्तमान स्वरुप को कमज़ोर न किया जाए I किसानों से कृषि के नाम पर ज़मीन खरीदकर उद्योग लगाने को प्रतिबंधित किया जाए तथा ऐसा करने वाले उद्योगपतियों की रजिस्ट्री शून्य कर उनपर आपराधिक मामले दर्ज किये जायें I
अलोक शुक्लाछत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन
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