42 नौजवान मुसलमानो की हत्या पीएसी ने नहीं की तो किस ने की , 14 साल बाद कोर्ट ने हत्यारों को बरी किया।
मेरठ के हाशिमपुरा में 22 मई 1987 को उत्तरप्रदेश की पीएसी सिपाहियों ने हमला किया ,पुरे गॉव को खिंच के बाहर सड़क पे ले गए , वहाँ उनमेसे नोजवानो पढ़े लिखे लोगो को छांटा जाता है ,और एक ट्रक में 42 लोगो को बिठाया जाता हैं ,जिसमे 13 साल से लेके 70 साल के बुजुर्ग होते हैं ,इन सब को गॉव की ही नहर के पास ले जाके उसके किनारे पे खड़ा किया जाता है और फिर एक एक को गोली मर के उन्हें पानी से भरी नहर मे फेंक दिया जाता है ,इनमे सिर्फ एक बात सामान है की वो सब मुसलमान है और मरने वाले सब गैमुस्लिम या कहिय एकी वो सब हिन्दू थे ,
पुरे 14 साल गाजियाबाद से लेके सुप्रीम कोर्ट तक मुकदमेबाजी होती हैं ,13 बार ट्राइल होती है ,और कल उन सभी कतिलो को सबूतो के आभाव में बरी कर दिया गया , इसे आप क्या कहेंगे ? क्या 42 मुसलमानो किसी ने मारा नहीं वे अपने आप गोली चला के नहर मे कूद गए ? किसी को शर्म आती है ,क्या कोई इनके लिए सड़क पायेगा , नहीं कोई आएगा ,वे तो सिर्फ इस इंतज़ार में है की कब मुसमानों के खिलाफ कोई मुद्दा निकले और वे शस्त्रों सहित पिल पढ़ें ,
अफसोस है की कही भी कोई बड़ी हलचल नहीं हैं ,न अखबारों में , न मिडिया में और न सोशल मिडिया में ,सबसे बड़ी बात ये भी है की हत्या के समय और बाद में उत्तरप्रदेश या केंद्र में मुसलमानो के कंधो पे चढ़ के सरकार बनाने वालो की ही सरकार थी ,तो उन्होंने क्या किया ? कुछ नहीं , समाजवादी ,बसपा ,कांग्रेस की सरकारों ने हत्यारों का ही साथ दिए ,भाजपा तो इसके लिये जानी ही जाती है , तो फिर बांकी दल के कर रहे है ,वास्तविक बात तो यही है की दूसरे दल [?]भी मुसलमानो को अपना वोट ही समझते रहे हैं ,
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