महिलाओ की आज़ादी की कुंजी कभी किसी धर्म में कभी नहीं मिलेगी
धरम एक दोहरी तलवार है ,और सारे धरम पुरुष जनित ही है ,कोई आसमान से नहो उतरा ,और कभी आसमान से कोई किताब या ग्रंथ उतरता भी नहीं है , महिलाओ की आजादी की कुंजी आप उसमे ही तलाश रहे है जो इसके लिये जिम्मेदर ही , महिला विरोधी भी अपनी खुराक इन किताबो या ग्रन्थो से ही लेते है जहाँ से आप लेते हैं , आज तक दुनिया मे किसी भी धरम ने कभी भी महिलाओ को पूरी तरह इंसान नहीं माना ,लिखने और उसे जीवन मे उतरने मे यदी फरक हो तो ,सही वही है जिसे हम अपने जीवन मे देख रहे है ,ये कहना बहुत आसान ही की धरम तो नहीं कहता ,ये सब तो हमारा इंटरपिटेशन हैं , तो भई सही वही है जो हम भुगते हैं , ना की वो जो लिखा है ,और फिर लिखा भी क्या है , ये जो तर्क दिये जाते है की धरम थोडे ही कहता ही की महिला के साथ दोहारा व्यव्हार किया जाये [ सारे धर्मिक पंडित और मुल्ला यही तो कहते है ,वो लोग भी कहते है जो अपने जीवन मे महिलाओ को बदतर जीवन जीने को मजबूर करते हैं ] ,हाँ मे कहता हूँ की सारे धरम यही कहते है की महिला को बराबरी का हक नहीं हैं ,
मेरा निवेदन सिर्फ इतना ही है की महिलाओ की बरबरी और आज़ादी की कुंजी कभी धर्मिक ग्रन्थो मे नहीं मिल सकती.
No comments:
Post a Comment