भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ रायगढ़ के राष्ट्रीय सम्मेलन में संकल्प पारित , राष्ट्रपति अध्यादेश दुबारा स्वीकृत न करे और सरकार 2013 का कानून को लागु करे ,
रायगढ़/ छत्तीसगढ़ में जिलाबचाओ संघर्ष समिति द्वारा आयोजित जान नायक , स्वंत्रता संग्राम सेनानी और संघर्ष के प्रतीक रामकुमार अग्रवाल की पुण्यतिथि 28 मार्च 15 को भू अधिग्रहण के खिलाफ सम्मलेन में राज्य भर के आंदोलन करी और जनसंघटन की साथी उपस्थित रहे , एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक पीव्ही राजगोपाल ,मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी छत्तीसगढ़ के राज्य सचिव संजय पराते ,कम्युनिस्ट पार्टी एम एल के रज्य सचिव सोरा यादव , छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा मजदुर कार्यकर्ता समिति की सुधा भारद्वाज ,छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के जनकलाल ठाकुर , प्रमुख समाजवादी चिंतक आनंद मिश्रा ,छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ल ,बिरेन्द्र पाण्डेय ,पीयूसीएल से डा , लाखनसिंह , जशपुर से जेकब कु जुर आदि उपस्थित हुए ,
जिला बचाओ संघर्ष समिति के गणेश कछवाह ,रामकुमार जी के बड़े पुत्र अमर चन्द्र अग्रवाल ,वरिष्ठ साथी दयाचंद ठेठवार ,डिग्री चौहान ,मेहताभ आलम आयोजको में से थे ,
वाखाओ ने कहा की सरकार भूमि अधिग्रहण बिल केसाथ दूसरे जनकल्याणकारी कानून भी बदलना चाहती है ,क्योकि साम्राज्यवादी पूँजी के दबाब में ऐसे सारे कानून खत्म करना चाहते है जो उद्योगो पूंजी के आवागमन में बाधित हो रहे हैं पेसा कानून ,वनाधिकार कानून ,श्रम कानून ,भूमि सुधार और गरीबी उन्मूलन की सारी योजना में सब्सिडी खत्म करके कार्पोरेट को लाभ पहुचाने के लिया ऐसे संसोधन किया जा रहे हैं ,
पीव्ही राजगोपाल ने जोर देके कहा की सरका पहले हिसाब दे की अभी तक 5 करोड़ लोग और लाखो हेक्टर जमीं जो अधिग्रहण की है उसका क्या हुआ ,उसमे से 68 प्रतीक्षा तजमिन आज भी बिना उयोग के पड़ी हैं, पहले जमीं का अधिग्रहण करो बाद में किस प्रकार की जमींन चाहिए ये बताओ , उन्होंने 10 लक्ख किसनोई की पदयात्रा की योजना की भी बात कही ,
सम्मलेन के अंत में राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री के नाम संकल्प पत्र भी स्वीकार किया जिसमे कहा गया की ;-
1. केंद्र सरकार द्वारा लाया गया भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पूरी तरह किसान विरोधी, आदिवासी मजदुर विरोधी है ,ये अध्यादेश ने केवल , . संविधान के मूल आत्मा के खिलाफ हैं बल्कि न्याय के सिद्दांत के भी विपरीत हैं ,यह अध्यादेश पूरी तरह कार्पोरेट के मुनाफा के लिए किसानो की जमीन छीनने के लिए लाया गया हैं सभी संघटन राष्ट्रपति से अपील करते है की यदि सरकार दुबारा अध्यादेश आपके सामने लाये तो आप इसे स्वीकार न करें या जारी न करेँ।
2 ,2013 के कानून में किसानो की सहमति एवं सामाजिक आंकलन के अध्यन तथा कृषि जमींन के अधिग्रहण न करने के प्रावधान का सख्ती से पालन किया जाये
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3 ,किसी भी परियोजना के लिए भूअधिग्रहण के पूर्व सम्बंधित ग्रामसभा की सहमति को अनिवार्य बनाया जाये ,विशेषकर पांचवी अनुसूची क्षेत्र में पैसा कानून ,वनाधिकार कानून को सख्ती से लागु किया जाये
4 आज़ादी के बाद जितने भी लोग विस्थापित हुए है उन्हें पहले पुनर्वासित किया जाये ,और उन्हें आजीवका व वर्तमान कानूनो के अनुसार मुआवजा दिया जाये , अभी तक आदिग्रहित की गई जमीन में से जो जमीन अनुपयोगी पड़ी है उसे किसानो को वापस किया जाये।
5 अंधाधुन्द तरीके से कोयले के खनन को बंद करते हुए सिर्फ देश की वास्तविक जरुरतो के लिए खनन किया जाये न की कार्पोरेट के लाभ के लिए ,जैसा की सुप्रीम कोर्ट ने कहा भी हैँ ,साथ ही पर्यवरणिया और सामाजिक प्रभावो सही आंकलन करके उनका कड़ाई से पालन किया जाये ,
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