** सचमुच बहुत भयावह और वीभत्स है पुलिस बस्तर की .,ग्रामीणों का आरोप कि मारे गये बेगुनाह आदिवासियों के शव के अंगो तक से अमानवीय अपमानजनक छेड़छाड़ .
* भारतीय सुरक्षा बल आखिर कैसे कर सकते है अपने देश के नागरिको़ के साथ इतनी अमानवीयता .
* पंन्द्रह दिन से भीमा और सुखती के शव को संरक्षित रखे है परिजन ,उनका आरोप कि दोनों को पुलिस ने हत्या की फिर उनके शरीर अंग भी निकाल लिये, संदेह है कि पुलिस अंगो की व्यवसाय करती है .
* पहले भी बुरगुम में छात्रों के शव को कैमीकल्स से नष्ट करने का लगा था आरोप .
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यह विश्वास करना बहुत मुश्किल है कि भारतीय सुरक्षा बल अपने ही देश के नागरिकों के साथ और वो भी मारे जाने के बाद उनके शव के साथ ,परिजनों ने सोनी सोरी को बताया के सुखमति और भीमा के शव से आंखे निकाल ली गई और दूसरे मानव अंग भी निकाल लिये गये है,सोनी को संदेह है कि बस्तर पुलिस मानव अंगो का व्यवसाय भी करती होगी .पोस्टमार्टम के बाद दोनो के शव अपमानजनक तरीके से वस्त्रहीन करके गंदे से पोलीथीन में लपेडकर घर वालोँ को सोंप दिये गये .
भीमा और सुखमति के परिजन और ग्रामीण पंन्द्रह दिन से शव मिट्टी का ताबूत बना कर रखे है ,उन्होंने कहा है कि जबतक हमें न्याय नही मिलेगा तब तक वो अंतिम क्रिया नहीं करेंगे ,उन्हें अंदेशा है कि पुलिस उन शवों को जबरदस्ती जलाने को मजबूर कर सकती है .
सोनी सोरी दो दिन में तीस किलोमीटर पैदल चलकर गुमपुर गांव पहुची और मीडिया के सामने यह सब बताया .
घटना का विवरण कुछ यों है :
15 दिन पहले 28 जनवरी का दिन गुमपुर वासियों के लिए मनहूस था। इस गांव के एक युवक और युवती को पुलिस ने माओवादी बताकर मुठभेड़ में मारने का दावा किया। लेकिन मारे गए दानों युवक-युवतियों के परिजन न्याय की आस में शवों को सहेजकर रखे हुए हैं।
पुरेंगल के जंगलों में कथित मुठभेड़
दंतेवाड़ा जिले से सटे बीजापुर जिले के पुरेंगल के जंगलों में कथित मुठभेड़ के दौरान मारे गए भीमा कड़ती और सुखमति के शवों का परिजनों ने दफनाया नहीं है। इन शवों को परिजनों ने अभी मिट्टी में ताबूत बनाकर सुरक्षित रखा हुआ है। दो दिन की यात्रा कर करीब 30 किमी पैदल चलकर सोनी सोढ़ी टीम के सदस्यों के साथ गुमपुर गांव गये थे .
सोनी सोढ़ी को देखकर गांव वाले एकत्र हो गए। गांव के हालात और उनकी बेबसी कहती है कि फोर्स ने सुखमति को अनाचार करने के बाद मारा है। शवों को परिजनों ने अभी भी रखा हुआ है। गांव के लोगों का कहना कि न्याय दिलाओ। सोनी सोढ़ी परिजनों और गांव के लोगों से मिलने के बाद रविवार को दंतेवाड़ा लौट आई है।
शरीर के कुछ अंग भी गायब
सोढ़ी ने बताया कि गांव के लोगों का कहना है कि शवों का पोस्टमार्टम करवाया जाए। इससे कई और चौका देने वाली बातें सामने आएगी। सुखमति के शव को देखने के बाद लगता है शरीर के कुछ अंग भी गायब हुए हैं।
मारे गए भीमा कड़ती की पत्नी जोगी ने सोढ़ी को दर्द भरी दास्तां सुनाई। उसने बताया कि एक माह पहले एक बेटी ने जन्म दिया। आदिवासी संस्कृति के मुताबिक एक हांडी में बाहर पानी गरम होता है। एक माह पानी से स्नान करने के बाद विधि-विधान से पूजा होती है। पूजा की इसी सामग्री को लेने के लिए भीमा 27 जनवरी को सल्फी बेचने गया था वहां से उसे वापस आना था। इसके बाद वह नहीं आया। उसने कहा कि उसे यही बताया है कि वह माओवादी था, पुलिस ने मुठभेड़ में मार दिया।
सोनी सोढ़ी ने इस बार बड़े गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होनें कहा कि झूठे मामले बनाकर गिरफ्तारी और फर्जी मुठभेड़ में मारना बस्तर में आम बात हो गई है। अब तो आदिवासियों को मारकर अंगों की तस्करी भी की जा रही है। सुखमति के साथ जो हुआ वह बड़ा ही भयावह है। उसकी आंखे नहीं है। क्या अब मानव अंगों की भी पुलिस तस्करी कर रही है। शवों का पोस्टमार्टम करवाकर नग्न अवस्था में सौंपा था। सोढ़ी ने कहा यदि पुलिस रिकॉर्ड में सुखमति और भीमा पर कोई मामला दर्ज है तो पुलिस बताए?
सोनी साढ़ी ने कहा कि इस मामले को लेकर वह कोर्ट में जाएगी। दोनों शवों का पोस्टमार्ट दोबारा कराने के लिए गुहार लगाएगी। पूरे परिवार को पुलिस ने नेस्तनाबूत कर डाला। भीमा के दो छोटी-छोटी बेटियां है। एक की तो आंखे भी नहीं खुली।
मुठभेड़ के बाद परिजनों ने शव को दफनाया नहीं है। उनकी एक ही गुहार है कि पीडि़त परिजनों को न्याय मिले
सोढ़ी ने एक और आशंका जताई है कि गांव वालों को धमकाकर पुलिस शवों को जलवा सकती है। गांव वालों को डर है कहीं फोर्स फिर से इस गांव में न आ धमके। यदि फोर्स पहुंच गई तो शवों को डिस्ट्राय होना तय है। आदिवासी बेबसी की जिंदगी जी रहे हैं
** पहले भी शव को कैमीकल्स से नष्ट करने का आरोप था पुलिस पर .
तीन महीने पहले बुरगुम में दो स्कूली छात्रों की हत्या का आरोप पुलिस पर लगा था , जिसे पहले पुलिस ने नक्सली मान कर मारे जाने की बात कही लेकिन छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पुलिस अपने बयान से पलट गई और कहा कि किसी अज्ञात लोगो ने दोनों को मारा है .
सोनी सोरी और साथि उनके गांव गये थे तो पाया था कि बच्चों के शव बुरी तरह कीड़ों से भरा पडा है ,पूरे शरीर में हजारों कीड़े बिलबिला रहे थे ,तब यह आशंका व्यक्त की गई थी कि बच्चों के शव को किसी कैमीकल से नष्ट किया गया था ताकि कही कोर्ट कि आदेश पर दुबारा पोस्टमार्टम में सच्चाई न खुल जाये. पिछले समय कई मामलों में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट दुबारा पोस्टमार्टम के आदेश दे चुका है .
यह सही है कि दोनों मामलों की पुष्टि नही हुई है ,लेकिन जनमानस में यह अंदेशा भी बहुत खतरनाक संदेश देता है .
किसी भी शव को मानवीय गरिमा के साथ व्यवहार कानूनी और नैतिक बाध्यता भी है .
किसी दुश्मन देश के सैनिक या सिविल के साथ भी उनके शव के साथ इस प्रकार के अमानवीय व्यवहार के खिलाफ कानून बने है .
लेकिन छत्तीसगढ़ पुलिस पर हमेशा फर्जी मुठभेड़ ,बलात्कार , आगजनी और लूटपाट के आरोप लगते रहे है और अब ग्रामीणों के शव के साथ यह अमानवीय व्यवहार का आरोप भी विश्वसनीय लगता है ,वो भी जब कि सोनी जैसी गंभीर और संघर्षशील आदिवासी कार्यकर्ता कहती हों .
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