बस्तर के विवादित आईजी शिवराम कल्लूरी को सरकार ने भेजा लंबी छुट्टी पर
फाइल फोटो
छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित बस्तर ज़ोन में विवाद का पर्याय बन गए वहां के आईजी शिवराम कल्लूरी की विदाई हो गई है. कल्लूरी फिर कभी बस्तर लौटेंगे, इसकी संभावना भी अब बहुत कम है.
कल्लूरी पर बार-बार यह आरोप लगते रहे हैं कि माओवाद उन्मूलन के नाम पर उन्होंने खुलेआम बेगुनाह आदिवासी समाज के लोगों की कथित मुठभेड़ में हत्या और महिलाओं से बलात्कार जैसे अपराधों को बढ़ावा दिया. छत्तीसगढ़ सरकार के दो विश्वस्त सूत्रों ने कैच न्यूज़ से कहा है कि कल्लूरी को हटाए जाने का फ़ैसला डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र लिया गया है.
दोनों सूत्रों में से एक सरकार के करीबी सलाहकार हैं जबकि दूसरे सूत्र एक आला नौकरशाह. दोनों सूत्रों का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को बस्तर की 11 में से सिर्फ 3 सीटों पर जीत मिली थी. सरकार नहीं चाहती थी कि कल्लूरी की कारगुज़ारियों की वजह से उसके हाथ से मौजूदा 3 सीटें भी निकल जाएं, लिहाज़ा उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है.
भाजपा का एक धड़ा भी सरकार से कह चुका था कि कल्लूरी का कार्यकाल लंबा खिंचने का मतलब होगा कि बस्तर से भाजपा का पूरी तरह सफाया हो जाना. वहीं कल्लूरी ने सोशल मीडिया में अपने शुभचिंतकों से कहा है कि वे सरकार के निर्देश पर लंबी छुट्टी पर जा रहे हैं. हालांकि उन्होंने यह भी लिखा 'बेला भाटिया विंस'.
सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया लंबे समय से बस्तर में रहकर आदिवासियों के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता हैं. बार-बार उनपर बस्तर छोड़ने का दबाव बनाया जाता है. हाल ही में उनके किराए के घर हुए हमले के बाद बेला ने इसके लिए शिवराम कल्लूरी को ज़िम्मेदार क़रार दिया था.
वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कल्लूरी की विदाई पर सरकार को थैंक्यू बोला है, लेकिन इस कार्रवाई को सरकार की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा भी माना है. बघेल का कहना है कि चुनाव के ठीक पहले कल्लूरी दोबारा बस्तर में तैनात किए जा सकते हैं ताकि सरकार उनके और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग से जीत को आसान बना सके.
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने साफ किया है कि कल्लूरी की विदाई की एक बड़ी वजह उनकी किडनी का ट्रांसप्लांट होना है. मुख्यमंत्री का कहना है कि फिलहाल उनकी दोनों किडनी खराब हैं. किडनी ट्रांसप्लांट होने के बाद यह तय किया जाएगा कि उन्हें बस्तर में रखा जाना ठीक होगा या नहीं. एक उच्च पदस्थ सूत्र का कहना है कि उनके स्वस्थ होकर लौटने पर उन्हें पुलिस मुख्यालय में अटैच कर दिया जाएगा.
खुद को सरकार समझते थे कल्लूरी
बस्तर में लगातार विवादों के बाद कल्लूरी के खिलाफ माहौल तो बना हुआ था, लेकिन फिर भी वो झुकने को तैयार नहीं थे. पिछले साल नवम्बर में राज्योत्सव के दौरान जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ आए थे, तब सरकार ने बेहद मजबूरी में कल्लूरी को उनसे मिलवाया था. मिलने वालों सूची में कल्लूरी शामिल नहीं थे, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के हस्तक्षेप के बाद सरकार को उनका नाम जोड़ना पड़ा था.
प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान ही कल्लूरी ने बड़बोलेपन का परिचय देते हुए कहा था कि वे डेढ़ से दो साल के भीतर बस्तर से माओवाद का खात्मा कर देंगे. सरकार के बजाय खुद को श्रेय देने की उनकी यह शैली सरकार को नागवार गुजरी थीं. उनकी हरकतों की वजह से सरकार लगातार बैकफुट पर भी थी.
हाल के दिनों में जब मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया के घर धावा बोला गया, तब मुख्यमंत्री के कहने पर गृह विभाग के प्रमुख सचिव बी वी आर सुब्रहमण्यम और स्पेशल डीजी दुर्गेश माधव अवस्थी उनसे मिलने गए थे, लेकिन कल्लूरी के संरक्षण में पल रही संस्था अग्नि ने पूरे शहर को सरकार विरोधी नारों से पाट दिया था. हर पोस्टर में यह लिखा हुआ था कि सरकार बेला भाटिया को प्रोटेक्शन देना बंद करें. कथित तौर पर कल्लूरी के समर्थन से चल रही संस्था के इस कदम को भी सरकार ने अपने खिलाफ ही माना.
आयोग के सामने तीन घंटे की क्लास
बस्तर के ताड़मेटला गांव में आगजनी की घटना के बाद सरकार की स्थिति कभी सहज नहीं बन पाई. हर बार हर मौके पर यही कहा जाता रहा कि सरकार ने कल्लूरी को अपना नुमाइंदा बनाकर आदिवासियों की झोपड़ी जलवा दी है. इसी घटना में सीबीआई की सुप्रीम कोर्ट में सौंपी गई स्टेटस रिपोर्ट के बाद सरकार को फजीहत का सामना करना पड़ा.
जैसे-तैसे मामले को संभालने की कोशिश चल ही रही थी कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने महिलाओं से दुष्कर्म के मामले में सरकार को नोटिस थमा दी. आयोग की इस नोटिस के बाद कल्लूरी बीमार होकर विशाखापट्टनम के एक अस्पताल में दाखिल हो गए. लेकिन जैसे ही थोड़ा स्वस्थ होकर लौटे उनके समर्थकों ने एक के बाद एक कई घटनाओं को अंजाम दे दिया.
पिछले महीने 30 जनवरी को एनएचआरसी (राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग) के समक्ष मुख्य सचिव विवेक ढांड और गृह विभाग के प्रमुख सचिव सुब्रहमण्यम उपस्थित हुए तो उन्हें तीन घंटे तक सवालों का सामना करना पड़ा. आयोग की फटकार में यह संदेश भी साफ था कि चाहे व्यक्ति हो सरकार... लोकतंत्र में किसी को भी निरकुंश बनने की इजाजत नहीं दी जा सकती.
कल्लूरी का बचना मुश्किल
मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि कल्लूरी भले ही बीमारी से मुकाबला करते हुए स्वस्थ हो जाए लेकिन वे इतने अधिक असंवैधानिक कामों में लिप्त हैं कि उन्हें देर-सबेर सजा जरूर मिलेगी. बस्तर में निर्दोष आदिवासियों की हत्या के 10 से ज्यादा मामले कोर्ट पहुंच चुके हैं. कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल का कहना है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही एक-एक मुठभेड़ की जांच होगी. हर हाल में कल्लूरी की कुंडली खंगाली जाएगी.
दंतेवाड़ा बना नया डीआईजी रेंज
सरकार ने बस्तर के दंतेवाड़ा को नया डीआईजी रेंज बनाया है. इसमें सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले आते हैं लेकिन पहली बार सरकार ने इस रेंज में बस्तर के सातों जिलों को शामिल कर यह संदेश दिया है कि माओवाद के खात्मे के नाम पर कल्लूरी फार्मूले को बर्दाश्त करने के पक्ष में नहीं हैं. फिलहाल नए डीआईजी पी सुंदरराज का हेडक्वार्टर जगदलपुर रखा गया है जिससे साफ है कि अब कल्लूरी के नए बॉस सुंदरराज ही होंगे.
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