आदिवासी महिलाओ के टार्चर सेल में तब्दील हुआ छत्तीसगढ़ ; हर दिन में दो अपराध और हर तीसरे दिन दुष्कर्म की घटनाये
शर्मनाक हालत बेहाल आदिवासी
छत्तीसगढ़ में आदिवासी महिलाओ के साथ होने वाली घटनाये बेहद शर्मनाक है ,सरकारी आँकड़े ही बताते है की आदिवासी महिलाओ के दुष्कर्म के मामले में छत्तीसगढ़ देश में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है ,
सरकारी आंकड़े कहते है की सिर्फ 2014 में ही 721 अपराधो में 121 मामले बलात्कार के हैं ,इसका मतलब यही हुआ की हर दिन में दो अपराध और हर तीसरे दिन बलात्कार की घटना आदिवासी महिलाओ के साथ हो रही हैं। पिछले साल एससी एसटी एक्ट के तहत 475 मामले दर्ज़ हुए
पिछले वर्ष दुष्कर्म के 88 मामले आये थे ,पहले बात तो यह की बहुत से मामले थाने तक पहुंच ही नहीं पते उर जो पहुंचते है उनकी एफआईआर भी मुश्किल से लिखी जाती है। जयादातर तो पुलिस आरोपियों के साथ कड़ी दीखती है।
जेल में विचाराधीन कैदियों की संख्या लगातार बढ़ रही है ,अब तक करीब 150 मामलो में हाई पवार कमिटी ने रिहाई की अनुशंषा की थी ,लेकिन मामले कोर्ट में अभी भी लटके हुए हैं। जब की सरकार ने जमानत का विरोध न करने का भी निर्णय लिया था।
जेलों में आदिवासियों की संख्या
जगदल पुर जेल में 546 विचाराधीन कैदी उसमे से 512 आदिवासी है
दंतेवाड़ा में 377 कैदी उनमे 372 विचाराधीन कैदी है
कांकेर में 144 में से 134 कैदी विचाराधीन आदिवासी
दुर्ग में 57 विचाराधीन मेसे 61 कैदी आदिवासी है
शर्मनाक हालत बेहाल आदिवासी
छत्तीसगढ़ में आदिवासी महिलाओ के साथ होने वाली घटनाये बेहद शर्मनाक है ,सरकारी आँकड़े ही बताते है की आदिवासी महिलाओ के दुष्कर्म के मामले में छत्तीसगढ़ देश में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है ,
सरकारी आंकड़े कहते है की सिर्फ 2014 में ही 721 अपराधो में 121 मामले बलात्कार के हैं ,इसका मतलब यही हुआ की हर दिन में दो अपराध और हर तीसरे दिन बलात्कार की घटना आदिवासी महिलाओ के साथ हो रही हैं। पिछले साल एससी एसटी एक्ट के तहत 475 मामले दर्ज़ हुए
पिछले वर्ष दुष्कर्म के 88 मामले आये थे ,पहले बात तो यह की बहुत से मामले थाने तक पहुंच ही नहीं पते उर जो पहुंचते है उनकी एफआईआर भी मुश्किल से लिखी जाती है। जयादातर तो पुलिस आरोपियों के साथ कड़ी दीखती है।
जेल में विचाराधीन कैदियों की संख्या लगातार बढ़ रही है ,अब तक करीब 150 मामलो में हाई पवार कमिटी ने रिहाई की अनुशंषा की थी ,लेकिन मामले कोर्ट में अभी भी लटके हुए हैं। जब की सरकार ने जमानत का विरोध न करने का भी निर्णय लिया था।
जेलों में आदिवासियों की संख्या
जगदल पुर जेल में 546 विचाराधीन कैदी उसमे से 512 आदिवासी है
दंतेवाड़ा में 377 कैदी उनमे 372 विचाराधीन कैदी है
कांकेर में 144 में से 134 कैदी विचाराधीन आदिवासी
दुर्ग में 57 विचाराधीन मेसे 61 कैदी आदिवासी है
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