Thursday, August 27, 2015

आदिवासी महिलाओ के टार्चर सेल में तब्दील हुआ छत्तीसगढ़ ; हर दिन में दो अपराध और हर तीसरे दिन दुष्कर्म की घटनाये

आदिवासी महिलाओ के टार्चर सेल में तब्दील हुआ छत्तीसगढ़ ; हर दिन में दो अपराध और हर तीसरे दिन दुष्कर्म की घटनाये 





शर्मनाक हालत बेहाल आदिवासी 

छत्तीसगढ़ में आदिवासी महिलाओ के साथ होने वाली घटनाये बेहद शर्मनाक है ,सरकारी आँकड़े ही बताते है की आदिवासी महिलाओ के दुष्कर्म के मामले में छत्तीसगढ़ देश में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है ,
सरकारी आंकड़े कहते है की सिर्फ  2014  में ही 721 अपराधो में 121  मामले बलात्कार के हैं ,इसका मतलब यही  हुआ की हर दिन में दो अपराध और हर तीसरे दिन बलात्कार की घटना आदिवासी महिलाओ के साथ हो  रही हैं। पिछले साल एससी एसटी एक्ट के तहत 475  मामले दर्ज़ हुए 

पिछले वर्ष दुष्कर्म के 88  मामले आये थे ,पहले बात तो यह की बहुत से मामले थाने  तक पहुंच ही नहीं पते उर जो पहुंचते  है उनकी एफआईआर भी मुश्किल से लिखी जाती है। जयादातर तो पुलिस आरोपियों के साथ कड़ी दीखती है। 
जेल में विचाराधीन कैदियों की संख्या लगातार बढ़ रही है ,अब तक करीब 150  मामलो में हाई पवार कमिटी ने रिहाई की अनुशंषा की थी ,लेकिन मामले कोर्ट में अभी भी लटके हुए हैं। जब की सरकार ने जमानत का विरोध न करने का भी निर्णय लिया था। 

 जेलों में आदिवासियों की संख्या 

जगदल पुर  जेल में 546  विचाराधीन कैदी उसमे से 512  आदिवासी है 
दंतेवाड़ा में 377  कैदी उनमे 372  विचाराधीन कैदी है 
कांकेर में 144  में से 134  कैदी विचाराधीन आदिवासी 
दुर्ग में 57  विचाराधीन मेसे 61  कैदी आदिवासी है 

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