सोढ़ी संबो ; मुझमे इन चीज़ों से आँखें मिलाने का साहस नहीं बचा है
हिमांशु कुमार
मेरे दिल्ली वाले घर में सोडी संबो नाम की एक आदिवासी महिला का एक बैग रखा है
उसमे उसके कुछ पुराने से कपडे रखे हुए है ,
जो एक आदिवासी महिला के पास हो सकते हैं
कुछ दवाइयां, रूई और पट्टियाँ हैं ,
जिन्हें वो अपने उन घावों पर लगाती थी जो सीआरपीएफ़ ने
उसकी टांग में गोली मार कर कर दिया था !
जब हम इस महिला को इस देश की सबसे बड़ी अदालत में ले जा रहे थे
तो पुलिस ने रास्ते में हमें रोक कर इस महिला को उठा लिया
और सोडी संबो तभी से पुलिस की अवैध हिरासत में है
मेरे पास सोनी सोरी नाम की महिला का भी झोला रखा है
जिसमे सोनी की कुछ चूड़ियाँ है
जो उसने अपने उस पति की वापसी की आस में
पहनी हुई थी जो पिछले साल से जेल में है
उसके झोले में कुछ टाफियां हैं ,
जो उसने अपने उन तीन छोटे छोटे बच्चों के लिए संभाल कर रखी हुई थी
कि वो दिल्ली की सबसे बड़ी अदालत में अपनी सच्चाई साबित कर देगी
और जल्दी ही
माँ के आने का इंतज़ार करते बच्चों के पास पहुँच कर उन्हें ये टाफियां देगी
मेरे पास कुछ आदिवासी बच्चियों की चिट्ठियाँ हैं,
जिनकी इज्ज़त इस देश के रखवालों ने तार तार कर दी
और जब इन्होने इसके बारे में अदालत में बताया ,
तो सरकार ने उन्हें अपना मूंह खोलने की सजा के अपराध में
दुबारा थाने में ले जाकर पांच दिन तक बन्द कर दुबारा पीटा और बलात्कार किया
मेरे पास कुछ माँओं के आंसुओं से भीगे ख़त भी हैं ,
जिनके बेटों को घर के लिए चावल लाते समय
" देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा "
बता कर जेलों में डाल दिया गया है और
अब जिनके जीवन भर घर वापिस आने की कोई संभावना नहीं है
मेरे घर के एक कोने में एक छोटे बच्चे के लिए कुछ कपडे भी रखे हुए है
जो मेरी पत्नी ने उस बच्चे के लिए खरीदे थे
जिसकी माँ को दंतेवाडा के गोमपाड गाँव में
सीआरपीएफ़ कोबरा बटालियन ने सिर में चाकू मार दिया था
और गोद के इस बच्चे का हाथ काटने के बाद माँ की लाश से बलात्कार किया था
मेरे पास कुछ गरीब पुलिस वालों की लाशों के फोटो भी हैं
जो पैसे वाले सेठों और भ्रष्ट मंत्रियों के आदेश पर
अपने ही गरीब आदिवासी भाइयों को मारने गए थे,
और खुद ही मारे गए
और जिनकी विधवाएं आज भी मुआवजे की राशी के इंतजार में
अमीरों के घरों में बर्तन साफ़ कर अपने भूखे बच्चों का पेट भर रही हैं
इससे पहले कि पुलिस मेरे घर पर छापा मार कर ये सब ले जाए
मैं चाहता हूँ कि कोई आकर इन्हें आकर इन्हें मुझसे ले जाए
और भारतीय लोकतंत्र के इन शानदार प्रतीकों को उस संग्रहालय में रख दे
जिसमे ये दर्शाया गया हो कि भारत एक महान अध्यात्मिक देश है
अतीत में ये विश्वगुरु था और भविष्य में ये विश्व की महाशक्ती बनने वाला है
इन सबूतों को देखकर हमारे आने वाले बच्चे ये समझ पाएंगे कि तिरंगे झंडे में
लाली किनके खून की है ?
और हमने हरा रंग किसकी हरियाली छीन कर उनमे भरा है
जिन लोगों को इस देश के लोकतंत्र और आध्यात्मिक परम्पराओं पर गर्व है
वो आकर मुझसे ये सब ले जाए
हमारी अहिंसा और दयालुता के ये चिन्ह मुझे रात भर सोने नहीं देते
मेरी मदद करो मुझसे ये सब ले लो
मुझमे इन चीज़ों से आँखें मिलाने का साहस नहीं बचा है
( 05/10/ 2011 को पहली बार प्रकाशित )
No comments:
Post a Comment