नसबंदी कांड, अमानक दवा जिम्मेदार ;जाँच आयोग की रिपोर्ट
Wednesday, August 26, 2015
[ cg khabar ]
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ सरकार ने नसबंदी कांड के लिये अमानक दवा को जिम्मेदार माना है.छत्तीसगढ़ सरकार नसबंदी कांड में उपयोग में लाये गये दवाओं सिप्रोसिन-500 और आईब्रुफेन-400 के निर्माताओं के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करेगी. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को मंत्रालय में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया है. बैठक के बाद पंचायत, ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री अजय चन्द्राकर ने मीडिया प्रतिनिधियों को इन फैसलों की जानकारी दी.
मंत्री अजय चन्द्राकर ने बताया कि बिलासपुर जिले के नसबंदी प्रकरणों की जांच के लिए गठित एकल सदस्यीय जांच आयोग की रिपोर्ट की अनुशंसाओं का पालन करने और इन अनुशंसाओं के तहत दोषी अधिकारियों तथा कर्मचारियों पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कड़ी कार्रवाई करने, अमानक और विषाक्त औषधियों की निर्माता एवं विक्रेता कम्पनियों के खिलाफ विधि के अनुसार अभियोजन की कार्रवाई करने का भी निर्णय लिया गया.
सरकार ने माना है कि बिलासपुर जिले के सकरी में आठ नवम्बर 2014 और गौरेला, पेण्ड्रा एवं मरवाही में 10 नवम्बर 2014 को नसबंदी शिविर आयोजित किए गए थे. इन शिविरों में 13 महिलाओं की मृत्यु हो गई थी और अन्य अनेक महिलाओं का स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्हें विभिन्न अस्पतालों में भर्ती किया गया था.
घटना की जांच के लिए राज्य शासन द्वारा एकल सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग 13/11/2014 की अधिसूचना द्वारा गठित कर सात बिन्दु निर्धारित किए गए थे. शासन को 10 अगस्त 2015 को आयोग द्वारा जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया है. आयोग के निष्कर्षों के अनुसार नसबंदी शिविरों में अमानक एवं विषाक्त औषधियों के वितरण तथा चिकित्सकीय लापरवाही के फलस्वरूप यह घटना हुई.
मंत्रिपरिषद ने निर्णय लिया कि जांच प्रतिवेदन में घटना के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के जिन अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी पाया गया है, उनके खिलाफ स्वास्थ्य विभाग द्वारा कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. नसबंदी शिविरों में वितरित की गई अमानक एवं विषाक्त औषधियों की निर्माता एवं विक्रेता कम्पनियों के विरूद्ध विधि के अनुसार अभियोजन की कार्रवाई की जाए.
भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए जांच प्रतिवेदन में सुझाए गए उपायों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा और सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा कार्रवाई की जाए.
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