तोकपाल में 10 साल में तीन हजार चन्दन के पेड़ वन विभाग की लापरवाही के शिकार
जगदलपुर (ब्यूरो)। विकासखण्ड तोकापाल के बड़े आरापुर में खड़े चंदन के साढ़े तीन हजार चंदन वृक्षों की कटाई 10 साल में हो चुकी हैं। ग्रामीणों ने चंदन वन को संरक्षित करने की मांग वन विभाग से की थी, परन्तु बीते नौ साल में विभाग ने चंदन के वृक्षों की गणना के अलावा कोई सुरक्षात्मक कार्रवाई नहीं की, इसलिए नानी आरापुर के ग्रामीण समिति बना कर खुद चंदन वन की रक्षा कर रहे हैं।
राष्ट्रीय राजमार्ग 16 पर स्थित ग्राम आरापुर में चंदन के वृक्ष कितने वर्षों से है? यह कोई नहीं बता पा रहा है, परन्तु यहां बुजुर्ग बताते हैं कि बस्ती के पुराने शिवालय और तालाब किनारे खड़े चंदन वृक्षों के बीज प्रसार से ही गांव में चंदन वन का प्रार्दुभाव हुआ है।
बस्ती के थे चार हजार से ज्यादा चंदन
मावलीमाता गुड़ी आरापुर के पुजारी व सेवानिवृत्त आयकर अधिकारी सुखराम कच्छ ने बताया कि बडे और नानी (छोटे) आरापुर व दुगनपाल में महज 10 साल पहले चार हजार से ज्यादा चंदन के वृक्ष थे। ये वृक्ष रेल पटरियों के किनारे से लेकर नानी आरापुर के नाला के दूसरे किनारे तक खड़े थे। ग्रामीण इन वृक्षों का महत्व नहीं समझते थे। इसका फायदा चंदन चोरों ने उठाया और रात में चंदन पर कुल्हाड़ी चलने लगीं और देखते ही देखते कुछ वर्षों में साढ़े तीन हजार चंदनों की कटाई हो गई। इस पर बस्ती के प्रबुध्दजनों ने वन विभाग को पत्र लिख कर आरापुर के चंदनों को बचाने की गुहार लगाई थी। इसके आधार पर वर्ष 2006 में चित्रकोट रेंज के तत्कालीन रेंजर श्री चन्द्रवंशी ने आरापुर के चंदन वृक्षों की गणना कर रिपोर्ट वनमंडलाधिकारी कार्यालय में सौंपी थी, परन्तु विभाग ने कोई सुरक्षात्मक योजना नहीं बनाई।
बाड़ी के चंदन पेड़ों की भी चोरी
श्री कच्छ ने बताया कि बस्ती में कई लोगों की बाड़ियों में भी चंदन के वृक्ष हैं। चोरों रात में गुजरने वाली मालगाड़ियों की धड़धड़ाहट का फायदा उठाया और कई पेड़ों का तना काट कर ले गए। उनकी बाड़ी में खड़े 15 चंदन वृक्षों को काट कर ले गए हैं। फिलहाल करीब 100 पेड़ खड़े हैं । इसी तरह लगभग हर घर से दो-चार पेड़ों की कटाई की गई है। सात साल पहले ग्रामीणों ने चोरो से ढाई क्िवटल चंदन पकड़ा था वहीं पुलिस की फ्लाइंग स्क्वॉड ने भी गीदम नाका में डेढ़ क्विंटल चंदन पकड़ा था, फिर भी वन विभाग जागा नहीं।
विरोध के कारण बचा चंदनवन
छोटे आरापुर के सोनदेव माड़िया ने बताया कि यहां पर अभी भी पांच सौ ज्यादा चंदन के वृक्ष खड़े हैं। वह लौह अयस्क से भरा पड़ा है। उक्त 50 एकड़ भूमि को खनिज विभाग ने रायकोट की स्पंज आरयन कंपनी को देने का निर्णय लिया था, परन्तु ग्रामीणों के विरोध के चलते निर्णय बदलना पड़ा,चूंकि इस लोहा टेकरी में ही मावली माता का मंदिर व ग्रामीणों का मरघट है।10 एकड़ की टेकरी में खड़े पांच से से अधिक वृक्षों की रक्षा ग्रामीण सात साल से कर रहे हैं। ग्रामीणों ने निर्णय लिया है कि जो कोई भी चंदन चोरों को पकड़ेगा। गांव समिति उसे 500 रुपए का इनाम देगी।
'उन्हें आरापुर के चंदनवन के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं है। वे चित्रकोट रेंजर कथित स्थल का सर्वे करा रिर्पोट मंगवाएंगे। वर्ष 2006 में हुई चंदन गणना की फाईल भी मंगवाएंगे।'
-हेमंत कुमार पाण्डेय, वनमंडलाधिकारी बस्तर।
वनमंत्री करेंगे चंदनवन का अवलोकन
प्रदेश के वनमंत्री महेश गागड़ा ने दस साल में आरापुर से साढ़े तीन हजार चंदन वृक्षों की कटाई के मामले को गंभीरता से लिया है। नईदुनिया से दूरभाष पर चर्चा करते हुए इन्होने कहा कि अगले बस्तर प्रवास के दौरान वे आरापुर के चंदनवन का अवलोकन करेंगे। वे आज ही बस्तर वन वृत्त के सीसीएफ को चंदनवन को बचाने कार्य योजना बनाने निर्देशित करने जा रहे हैं।
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