बहादुर माँ को सलाम , सफ़दर हाश्मी की माँ का निधन
आज की रात सफदर हाशमी की मां कमर हाशमी का निधन हो गया। वे ऐसी बहादुर माँ थीं जिन्होंने सफदर की म्रत्यु पर उसके साथियों से कहा था कि कामरेड'स आँसू पौँछ लीजिए और मशालें उठा कर उन्हें जला लीजिए। मशाल की लपलपाती लौ अँधेरे की चादर को फाड़ देगी। सड़कों पर उन गीतों को गाओ जो सफदर को बहुत पसन्द थे। हम सफदर का शोक नहीं मनाएंगे, हम उसे आयोजनों में याद करेंगे। नौ साल की उम्र में बुरका उतार कर फेंक देने वाली श्रीमती हाशमी ने एक शिक्षिका के रूप में अपने पाँच बच्चों को पालने में परिवार को सहयोग किया और साथ साथ लगातार शिक्षा भी ग्रहण की। अपना एमए उन्होंने सत्तर साल की उम्र में उस्मानिया विश्वविद्यालय हैदराबाद से किया। उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी और सम्पादित की हैं। उन्होंने अपनी मृत्यु पर कोई धार्मिक कार्य न करने का निर्देश दिया था इसलिए उनकी आँखें दान में दे दी गयीं व अब से थोड़ी देर बाद ही दिल्ली में विद्युत शवदाह ग्रह में उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा।
Virendra Jain साहब की वाल से साभार
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