मुझे तो समझ नहीं आती की हमारी सरकारें किसका प्रतिनिध्व करती है .,
अभी छत्तीसगढ की सरकार ने बिजली की दरें बढ़ाई ,दरें बढ़ाने का रेशो देखिये , किसानो को 76,22 प्रतिशत , आम उपभोक्ताओं को 21 प्रतिशत और बड़े उद्योगो को मात्रा २.09 से 13,61 तक ज्यादा कीमत देनी पड़ेगी,
कोई समझा सकता है ये गणित की, सबसे ज्यादा किसान परेशान होते है किसी भी राज्य मे और सबसे ज्यादा कीमत भी उन्हे ही देना होगी ,आम उपभोक्ता तो बना ही इसलिये है की उस पे बार बार मेह्गाई का बोझ डाला जाये . लेकिन लेकिन सबसे जाया मुनाफा कमाने वाले उद्योगो पे सबसे ज्यादा मेहेरबानी हर सरकार करती हैं ,किसी भाजपाई या मोदी की जय जय कार करने वाले बंदे से बात करके देखिये वो विशेषग्य बन के आपको बिजली की दरो का गणित समझाने लगेगा , कमसे कम कोंग्रेसी लोग तो ऐसे समय बगले झांकने लगते थे , लेकिन ये वीर तो बराबर सरकारी कुतर्क की दलील देते नजर आते हैं ,कहते है सरकार की मजबूरी थी जो भाव बढ़ाने पड़े ,नहीं तो मोदी ने तो अछे दिन आने का वायदा किया था।
अभी छत्तीसगढ की सरकार ने बिजली की दरें बढ़ाई ,दरें बढ़ाने का रेशो देखिये , किसानो को 76,22 प्रतिशत , आम उपभोक्ताओं को 21 प्रतिशत और बड़े उद्योगो को मात्रा २.09 से 13,61 तक ज्यादा कीमत देनी पड़ेगी,
कोई समझा सकता है ये गणित की, सबसे ज्यादा किसान परेशान होते है किसी भी राज्य मे और सबसे ज्यादा कीमत भी उन्हे ही देना होगी ,आम उपभोक्ता तो बना ही इसलिये है की उस पे बार बार मेह्गाई का बोझ डाला जाये . लेकिन लेकिन सबसे जाया मुनाफा कमाने वाले उद्योगो पे सबसे ज्यादा मेहेरबानी हर सरकार करती हैं ,किसी भाजपाई या मोदी की जय जय कार करने वाले बंदे से बात करके देखिये वो विशेषग्य बन के आपको बिजली की दरो का गणित समझाने लगेगा , कमसे कम कोंग्रेसी लोग तो ऐसे समय बगले झांकने लगते थे , लेकिन ये वीर तो बराबर सरकारी कुतर्क की दलील देते नजर आते हैं ,कहते है सरकार की मजबूरी थी जो भाव बढ़ाने पड़े ,नहीं तो मोदी ने तो अछे दिन आने का वायदा किया था।
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