बांध ,तलाब और निस्तारी सड़क को
सरकार ने फिर बेच दिया एक कम्पनी को , कुछ दिन पहले ही रोगदा बांध भी ऐसे ही बेच
दिया था ,छत्त्तीसगढ मे रोज एक से एक नये कारनामे , कभी नदी ,कभी जंगल कभी बांध
कभी नर्सरी और कभी किसानो मी पूरे रास्ते ही कम्पनी के हवाले करने के नित नये
प्रकरण .
छत्तीसगढ का जांजगीर चंपा जिला कभी सबसे
ज्यादा यानी 74 प्रतिशत सिंचित था ,धीरे धीरे इस जिले को बंजर बनाने की कई प्रयत्न
किया जा रहे है ,इसमे सबसे ताजा उदाहरण है ,डबरा के उचपिण्डा ग्राम मे निर्माणाधीन
आरकेएम पॉवेर जेन को निस्तरी सड़क ,तलाब और एक पानी भरा बांध मात्रा २,६३ करोड़ मे
सोदा कर दियाय गया , दो महीने पहले ही उद्योग विभाग के आदेस के आधार पे
48,४७ एकड़ जमीन का हस्तांतरण कम्पनी के नाम का र्दिया गया , ग्रामीण परेशन है की
अब वे बिना सड़क और बिन तलाब के कैसे गुजरा करेंगे, ,भ्रा पूरे बांध के चीन जन एके
बाद किसानो के पास सिंचाई की भी समस्या आ गई है,
इस बिक्री और हस्तांतरण के बाद तहसीलदार ने गॉव से
आपत्ती मांगी ,जिस पे सरपंच सहित 42 ग्रामीणो ने आपत्ती दर्ज़ की ,इसमे कहा गया की
खसरा 266/1 मे केकरभाटा की पगडंडी ,266/२ मे चारागाह , 263 मे गोचर ,235 मे दूसरे
गॉव जाने की सड़क और शेष मे घास दार्ज़ हैं , बांध की आपत्ती सबने दर्ज़ की .
लेकिन किसी की आपति पे किसी ने ध्यान नहीं दिया ,
कलेक्टर अंबालगन ने सिर्फ ये कहा की सरकारी आदेस
से ज़मीन कमपनी को दी गई है लेकिन सड़क, बांध ,तलाब पे ग्रामीणो का निस्तार पहले
की तरह बना रहेगां,
ये किसी को कहने की जरूरत नहीं है किजाब जमीन
कम्पनी लेती है तो अगले ही दिन उसकी बौंड्री बना दी जाती है ,फिर कोई गॉव का आदमी
उसमे प्रवेश का र्ही नहीं सकता, ,पता नहीं किसे कलेक्टर बेवकूफ बना रहे हैं,
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