खेत बने कब्रगाह ; एक साल में 52 महिला किसानो ने की आत्महत्या ; छत्तीसगढ़
मदर छत्तीसगढ़ के छूट रहे रहे है प्राण
"दुनिया में हम आए हैं तो जीना ही पड़ेगा, जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा" मशहूर फिल्म "मदर इंडिया" का यह गीत छत्तीसगढ़ के खेतों में "सोना" उपजाने वाली "मदर छत्तीसगढ़" के दर्द को बयां कर रहा है।
रायपुर. "दुनिया में हम आए हैं तो जीना ही पड़ेगा, जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा" मशहूर फिल्म "मदर इंडिया" का यह गीत छत्तीसगढ़ के खेतों में "सोना" उपजाने वाली "मदर छत्तीसगढ़" के दर्द को बयां कर रहा है। प्रदेश की किसान महिलाओं की पीड़ा इससे कहीं ज्यादा है और वो सूदखोरी के शिकंजे में उलझकर खुदकुशी कर रही हैं। गरीबी और तंगहाली में उनके हालात इतने बदतर हो गए हैं कि जो जिंदा हैं, वो भी घुट-घुटकर जी रही हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट में यह सामने आया कि एक साल में यहां पर 443 किसानों में से 52 महिला किसानों ने भी अपनी जान गंवाई है। इनके ज्यादातर परिवार सूदखोरी के मकडज़ाल में फंसे हुए हैं। रिपोर्ट बताती है कि 20.6 प्रतिशत महिला किसानों ने आर्थिक तंगी या कर्ज के चलते आत्महत्याएं कीं। वहीं, 20.1 प्रतिशत ने पारिवारिक कलह के कारण अपनी जान दी। कृषि विशेषज्ञों का कहना है, इसके पीछे भी फसल की बर्बादी और सूदखोरी का दबाव है।
किसानों की खुदकुशी मामले पर सदन में हंगामा
14 वर्षों में 14793 किसानों की आत्महत्या के रोंगटे खड़े कर देने के मामले पर विधानसभा में गुरुवार को जबरदस्त हंगामा हुआ। अनुपूरक बजट पर चर्चा के दौरान सवालों पर सरकार असहज नजर आई। मरवाही से कांग्रेस विधायक अमित जोगी ने कहा, एनसीआरबी के आंकड़ों को भी कृषि मंत्री गलत बता रहे हैं। उन्होंने कहा, एनसीआरबी केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधीनस्थ संस्था है और उसको ये आंकड़े प्रदेश की एजेंसियों ने ही दिए हैं। नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा, विकास के तमाम दावों के बीच कृषि क्षेत्र पीछे ही छूटता जा रहा है।
नान, धान, किसान और मानव तस्करी पर चर्चा आज
विधानसभा में शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान नान, धान, किसान, मानव तस्करी, अफसरशाही, भ्रष्ट अफसरों से करोड़ों की संपत्ति की बरामदगी सहित अन्य मामले छाए रहेंगे। कांग्रेस ने चर्चा से पहले गुरुवार को १२१ बिंदुओं पर ५३ पेज का आरोप पत्र विधानसभा के प्रमुख सचिव को सौंपा। नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव व विधायक भूपेश बघेल ने पत्रकारों को बताया, अविश्वास प्रस्ताव इसलिए जरूरी हो गया, क्योंकि सत्तापक्ष जनहित के मसलों पर जवाब देने से भाग रहा है।
10 साल से खेती में कोई विकास नहीं: एसोचेम
देश की प्रमुख औद्योगिक संस्था एसोचैम (द एसोसिएट चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ऑफ इंडिया) ने कृषि विकास के मामले में राज्य सरकार को असफल बताया। गुरुवार को राजधानी पहुंचे एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने पत्रिका से कहा, राज्य में पिछले 10 वर्षों से खेती का विकास घटता जा रहा है।
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-स्कूली शिक्षा से लड़कियां बेदखल हैं। यहां 40 प्रतिशत से ज्यादा महिलाओं को अपना नाम लिखना नहीं आता।
-कहने को ढाई लाख महिला स्वसहायता समूह हैं, जिससे महिलाओं की तस्वीर बदल जानी चाहिए, पर ऐसा नहीं हुआ।
-गांवों में महिला मजदूरों की संख्या 25 लाख के पार हो चुकी है, लेकिन बेकारी ने उन्हें झकझोर कर रख दिया है।
-महिला तस्करी के लिए यह राज्य बड़ा बाजार बन गया है। उनकी तस्करी के लिए 1200 से ज्यादा एजेंसियां
सक्रिय हैं।
-बीते 4 साल में महिला उत्पीडऩ के 22949 मामले दर्ज, 259 गैंगरेप और महज एक साल में 1308 दुष्कर्म की वारदातें हुईं।
-केंद्र सरकार के अनुसार प्रदेश के शहरी इलाकों में ही चार लाख से ज्यादा परिवारों की महिलाओं के लिए शौचालय नहीं हैं।
गरीबी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं में बढ़ती असुरक्षा जैसी स्थितियां उन्हें आत्महत्या की ओर धकेल रही हैं। यौन उत्पीडऩ और सूदखोरी जैसे हालात उनमें जबरदस्त तनाव पैदा कर रहे हैं। कर्ज और सामाजिक विघटन के बीच पिस रहीं महिलाओं में असहाय होने का भाव इस हद तक जा पहुंचता है कि� उनमें आत्महत्या जैसी प्रवृत्ति बढ़ी है।
आनंद मिश्रा, किसान नेता
प्रदेश में सूदखोरी बढ़ीबाजार प्रभावित करने वाले गरीब और महिला किसानों को हर स्तर पर लूट रहे हैं। कर्ज से आतंकित होकर उनके परिवार के लोग अपने खेत औने-पौने दामों में बेच रहे हैं। मगर जीने का दूसरा जरिया नहीं होने से उनकी मुसीबतें बढ़ रही हैं।
चितरंजन बक्सी, कृषि विशेषज्ञ
किसने बनाया असहा-
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