एक साल पहले की
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हम कायर ,लालची और डरपोक कौम हैं।
हम कायर ,लालची और डरपोक कौम हैं।
धर्म परिवर्तन ज़ेरेबहस है
इतिहास में कभी भी धर्म परिवर्तन किताबो को पढ़ के नही हुआ ,
चाहे वो आसमानी हो या स्वरचित ,
किसी संत , फ़क़ीर या समाज सुधारको ने धर्म परिवर्तन नहीं कराये
धर्म हमेशा सत्ता ,लालच ,या ताकत के बल पे ही बदले हैं।
मुझे याद नहीं आता की कोई अन्य धर्म का व्यक्ति हिन्दू बना हो।
इसका एक कारन ये भी है कि हिन्दुओ में धर्म परिवर्तन की अवधारणा ही नहीं है ,
अगर किसी को अपने धर्म में ले ही आये तो उसे क्या बनाएंगे ,ब्राह्मण या छत्री या फिर शूद्र।
हिन्दू ही मुस्लिम बने ,
ईसाई बने
सिख ,जैन या बौद्ध बने
चाहे वो आसमानी हो या स्वरचित ,
किसी संत , फ़क़ीर या समाज सुधारको ने धर्म परिवर्तन नहीं कराये
धर्म हमेशा सत्ता ,लालच ,या ताकत के बल पे ही बदले हैं।
मुझे याद नहीं आता की कोई अन्य धर्म का व्यक्ति हिन्दू बना हो।
इसका एक कारन ये भी है कि हिन्दुओ में धर्म परिवर्तन की अवधारणा ही नहीं है ,
अगर किसी को अपने धर्म में ले ही आये तो उसे क्या बनाएंगे ,ब्राह्मण या छत्री या फिर शूद्र।
हिन्दू ही मुस्लिम बने ,
ईसाई बने
सिख ,जैन या बौद्ध बने
अगर ताकत ,लालच या सत्ता के डर के धर्म बदला तो इसमें सबसे आगे हिंदू ही हैं।
वैसे भी इतिहास को हमें पढ़ने कीआदत नहीं है ,
नहीं तो हम जानते की ,
हमारे देश में
आर्य आये,
शक़ ,हूण आये
मुसलमान आये
अंग्रेज़ से लेके सिकंदर तक आये ,
और पता नहीं कितने आक्रमण हुये
हम सिर्फ हारे और हारे है ,
जिस 800 साल के बाद हिन्दू राज्य की बात करते हो,
वो भी बुरी तरह हमलावरों से हारे ही थे ,उन्हें कोई वोट देते नहीं जिताया था ,
हम हमेशा और हमेशा हारे और पिटे है,
क्यों ? पूछना चाहते हो ,तो सुनो
हम हमेशा अपनी जातिगत लड़ाईया ही लड़ते रहे
हमने शुद्रो को धिक्कारा
हमने स्त्रियों को धिक्कारा
हमने आदिवासियों को धिक्कारा
हम मुस्लिमो,ईसाइयो बोद्धो के बरख़िलाफ़ खड़े हैं ,और उन्हें खत्म करना चाहते हैं
हमने गरीबो ,पीडितो को और पीड़ा पहुचाया
हम हमेशा श्रेष्ठता और शुध्दता के घमंड में चूर रहे ,
इसी लिए
जिसने मारा ,हम मरे
जिसने पीटा हम पिटे ,
दलितो को जला रहे है
स्त्रियों को अपमानित कर रहे है
अपनी सेना ,दुश्मनो के खिलाफ नहीं ,बल्कि अपने देश वासियो के
खिलाफ स्तेमाल कर रहे हैं।
वैसे भी इतिहास को हमें पढ़ने कीआदत नहीं है ,
नहीं तो हम जानते की ,
हमारे देश में
आर्य आये,
शक़ ,हूण आये
मुसलमान आये
अंग्रेज़ से लेके सिकंदर तक आये ,
और पता नहीं कितने आक्रमण हुये
हम सिर्फ हारे और हारे है ,
जिस 800 साल के बाद हिन्दू राज्य की बात करते हो,
वो भी बुरी तरह हमलावरों से हारे ही थे ,उन्हें कोई वोट देते नहीं जिताया था ,
हम हमेशा और हमेशा हारे और पिटे है,
क्यों ? पूछना चाहते हो ,तो सुनो
हम हमेशा अपनी जातिगत लड़ाईया ही लड़ते रहे
हमने शुद्रो को धिक्कारा
हमने स्त्रियों को धिक्कारा
हमने आदिवासियों को धिक्कारा
हम मुस्लिमो,ईसाइयो बोद्धो के बरख़िलाफ़ खड़े हैं ,और उन्हें खत्म करना चाहते हैं
हमने गरीबो ,पीडितो को और पीड़ा पहुचाया
हम हमेशा श्रेष्ठता और शुध्दता के घमंड में चूर रहे ,
इसी लिए
जिसने मारा ,हम मरे
जिसने पीटा हम पिटे ,
दलितो को जला रहे है
स्त्रियों को अपमानित कर रहे है
अपनी सेना ,दुश्मनो के खिलाफ नहीं ,बल्कि अपने देश वासियो के
खिलाफ स्तेमाल कर रहे हैं।
हम आज वहीं कर रहे है ,जो हमने इतिहास में किया है
हमरा फिर वही हस्र होगा।,
जो इतिहास में हुआ हैं।
हमरा फिर वही हस्र होगा।,
जो इतिहास में हुआ हैं।
आइये हम इतिहास को दोहराने से रोकें
ये देश सिर्फ इन बजरंगियों ,दंगाईयो या देशद्रोहीयो का नहीं हैं
हम सब का हैं ,
[ लाखन सिंह ]
ये देश सिर्फ इन बजरंगियों ,दंगाईयो या देशद्रोहीयो का नहीं हैं
हम सब का हैं ,
[ लाखन सिंह ]
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